
तुम मुझे यूं भूला ना पाओगे ,रफी की याद में सुरीली शाम
पटना, 31 जुलाई अपनी आवाज के जादू से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाले
महान पार्श्वगायक मोहम्मद रफी की याद में अखिल भारतीय कायस्थ महासभा
बिहार कला संस्कृति प्रकोष्ठ, बिहार के सौजन्य से ऑनलाइन संगीतमय
कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें कलाकारों ने एक से एक बढ़कर
प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा, बिहार कला संस्कृति प्रकोष्ठ के सौजन्य
से कायस्थ रत्न, जदयू प्रवक्ता श्री राजीव रंजन प्रसाद के संरक्षण में
मोहम्मद रफी की पुण्यतिथि 31 जुलाई के अवसर पर आज “एक शाम मोहम्मद रफी
साहब के नाम” कार्यक्रम का आयोजन “फेसबुक लाइव” के द्वारा किया गया। इस
कार्यक्रम में मोहम्मद रफी के गाये नायाब गीतों बाबुल की दुआएं लेती जा,
दिल के झरोखे में, परदा है परदा, क्या हुआ तेरा वादा, बाबुल की दुआएं
लेती जा जैसे गीत के जरिये कलाकारों ने उन्हें ट्रिब्यूट दिया।
जदयू प्रवक्ता श्री राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि मोहम्मद रफी बिना
भारतीय संगीत जगत की कल्पना नहीं की जा सकती है। उन्होंने एक से एक बढ़कर
गीत गाकर लोगों का दिल जीता। रफी साहब ने हर तरह के गाने जैसे रोमांटिक,
सैड और देशभक्ति के गाने के जरिये श्रोताओं के दिलों में अपनी अमिट छाप
छोड़ी। चौदहवीं का चांद हो, तेरी प्यारी प्यारी सूरत को, चाहूंगा में
तुझे, बहारों फूल बरसाओ, क्या हुआ तेरा वादा जैसे गीतों की तासीर आज भी
बरकरार है।
अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता कमल किशोर ने
बताया कि अवाज की दुनिया के बेताज बाशहाह मोहम्मद रफी ने अपने गाये
सदाबहार नगमों के जरिये श्रोताओं के दिलों पर अमिट पहचान बनायी है।
उन्होंने हजारों की संख्या में गीत गाये जो आज भी संगीत प्रेमियों की
जुबां पर हैं।
कला संस्कृति प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष देव कुमार लाल ने बताया कि
‘एक शाम मोहम्मद रफी साहब के नाम’ कार्यक्रम का आयोजन “फेसबुक लाइव” पर
देव एंडफ्रेंड्स म्यूजिकल ग्रुप की मदद से किया गया। रफी साहब ने भारतीय
गाने को एक नया आयाम दिया। गायकी के क्षेत्र में उनके योगदान को कोई भूला
नहीं सकता। रफी साहब ने भले ही इस दुनिया को अलविदा कह दिया है लेकिन आज
भी वे अपने आवाज के जरिए लोगों के दिल पर राज करते हैं।
श्री लाल ने बताया कि कार्यक्रम में इंस्ट्रूमेंट सेक्सोफोन मोहम्मद
फजल रहमान, कीबोर्ड प्लेयर रवि रंजन प्रसाद, हैवालियन गिटार सुबोध नंदन
सिन्हा, उद्घोषक के रूप में श्री सतीश पप्पू, श्री गिरीश सिन्हा, लक्खी
रॉय,श्रुति मिश्रा, मिंटी वैष्णवी ,संजना सिन्हा ,शिखा ,नंदिता
चक्रवर्ती, डॉ वसंत पंचानन, नितेश रमण ,निवासन रमण ,धीरेंद्र प्रसाद
सिन्हा, सावन कुमार ,मोहम्मद ताज, संभव सिन्हा, अनिल कुमार दास, विमल
शुक्ला, डब्बू शुक्ला, विवेक कुमार, मनोज कुमार सिन्हा, सत्येंद्र कुमार
सिन्हा, नवीन श्रीवास्तव, आनंद सिन्हा ,विनायक कुमार समेत कई कलाकारों ने
शिरकत की और समां को बांध दिया।