Recent News
चित्रगुप्त की पुण्यतिथि पर जीकेसी की साहित्यिक प्रस्तुति
Spread the love

चित्रगुप्त की पुण्यतिथि पर जीकेसी की साहित्यिक प्रस्तुति

चित्रगुप्त श्रीवास्तव पर पूरे विश्व को नाज : राजीव रंजन प्रसाद
कड़े संघर्ष के बाद चित्रगुप्त श्रीवास्तव ने बनायी पहचान : अंजन श्रीवास्तव
चित्रगुप्त जी के संगीत में ग्रामीण परिवेश, पारंपरिक रीति रिवाज, श्रृंगार का अद्भुत समावेश : आलोक अविरल
चित्रगुप्त श्रीवास्तव भारतीय सिनेमा जगत में महान संगीतकारों में शुमार : पवन सक्सेना
पटना, नयी दिल्ली 15 जनवरी ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के सौजन्य से महान संगीतकार चित्रगुप्त श्रीवास्तव की पुण्यतिथि 14 जनवरी के अवसर पर साहित्यिक प्रस्तुति का आयोजन किया गया, जहां कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर समां बांध दिया।
जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम कुमार और राष्ट्रीय कार्यवाहक अध्यक्ष श्रुति सिन्हा ने बताया कि महान संगीतकार चित्रगुप्त श्रीवास्तव की पुण्यतिथि 14 जनवरी अवसर पर वर्चुअल साहित्यिक प्रस्तुति का आयोजन किया गया।उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में चित्रगुप्त श्रीवास्तव से जुड़े संस्मरण को सुप्रसिद्ध कलाकार अंजन श्रीवास्तव, सुप्रसिद्ध कवि आलोक अविरल और जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय प्रभारी दीपक कुमार वर्मा ने साझा किया। कार्यक्रम में शालिनी बैरागी ने ये पर्वतों के दायरे ये शाम का धुआं,प्रीति लाल ने तेरी दुनिया से दूर चले होके मजबूर, नवीन श्रीवास्तव ने अगर सुन ले तू एक नगमा हजूरे यार लाया हूं, मृणालिनी अखौरी ने दिल का दिया जला के के गया, ये कौन तन्हाई में और बाल कलाकार शांतनु शेखर ने “तुम्हीं हो माता पिता तुम्हीं हो” गीत पर प्रस्तुति दी। कार्यक्रम को जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के महासचिव पवन सक्सेना और राष्ट्रीय सचिव श्रीमती शिवानी गौड़ ने होस्ट किया। धन्यवाद ज्ञापन जीकेसी के वरिष्ठ ग्लोबल अध्यक्ष अखिलेश श्रीवास्तव और ग्लोबल महासचिव अनुराग सक्सेना ने किया। शिवानी गौड़ ने लागी नही छूटे राम गाने पर प्रस्तुति दी जिसे लोगों ने बेहद सराहा। कार्यक्रम के सफल संचालन में जीकेसी डिजिटल-तकनीकी और संचार प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन श्रीवास्तव, डिजिटल-तकनीकी और संचार प्रकोष्ठ के ग्लोबल महासचिव सौरभ श्रीवास्तव और जीकेसी डिजिटल-आईटी प्रकोष्ठ बिहार के प्रदेश आशुतोष ब्रजेश ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा, चित्रगुप्त श्रीवास्तव जी एक ऐसी शख्सियत थे, जिन पर पूरे विश्व को नाज़ है। श्री चित्रगुप्त जी ने ऐसी कालजयी कंपोजिशंस हमें दी हैं जो हमारे दिलों में बसती हैं।चित्रगुप्त जी जैसी कायस्थ विभूतियों ने पूरे विश्व में भारत का मस्तक ऊंचा किया है। संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान को कोई भूला नहीं सकता।
आज के इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए जीकेसी कला एवं संस्कृति प्रकोष्ठ की पूरी टीम को बधाई। जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ के ग्लोबल अध्यक्ष अंजन श्रीवास्तव श्रीवास्तव जी को विशेष तौर पर धन्यवाद जिनकी शानदार अगुवाई हमें मिल रही है।हमारे अतीत, सुनहरे पल की रोशनी में हम वर्तमान धुंधलेपन को भूलकर एक स्वर्णिम भविष्य की रचना कर पाएंगे, ऐसी मुझे पूरी आशा और विश्वास है।
अंजन श्रीवास्तव ने बताया, चित्रगुप्त जी बहुत पढ़े-लिखे संगीतकार थे, उन्होंने डबल एमए किया हुआ था और हमारी इंडस्ट्री में इतने पढ़े लिखे लोग विरले ही मिलते हैं, शायद ही ऐसा कोई हो। कायस्थ परिवार के लोगों को इस इंडस्ट्री में बहुत स्ट्रगल करना पड़ता था और घर परिवार से बहुत सहयोग नहीं मिलता था। यदि उस समय चित्रगुप्त जी ने संघर्ष नहीं किया होता और हथियार डाल दिए होते तो वह इस मुकाम तक नहीं पहुंचते जो उन्होंने हासिल किया। चित्रगुप्त जी को वह स्थान नहीं मिला जिसके वह हकदार थे। हमें इस बात पर विचार करने की जरूरत है उन्हें वह स्थान दिलवाएँ, जिसके वह हकदार थे।
सुप्रसिद्ध कवि-गीतकार आलोक अविरल ने महान संगीतकार चित्रगुप्त जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि यह उनकी संगीत के प्रति एक अद्भुत कशिश ही रही होगी जिसकी वजह से उन्होंने एक अर्थशास्त्र के व्याख्याता होते हुए भी, सब कुछ छोड़कर वह मुंबई आ गए, जहां उनकी पहले से कोई जान पहचान नहीं थी और उन्हें अपनी मेहनत से ही एक मुकाम हासिल करना था। उन्होंने बताया कि चित्रगुप्त जी पहली बार मुंबई 1945 में आए और 1 साल के भीतर ही उनको पहली फिल्म लेडी रॉबिनहुड मिली जिसमें उन्होंने संगीत दिया। उन्होंने लगभग 150 सौ फिल्मों में काम किया और हृदय एवं आत्मा को अद्भुत अनुभूति से सराबोर करने वाले एक से बढ़कर एक गीत दिये, जो आज भी हमारे कानों में गूँजते रहते हैं। चित्रगुप्त जी के संगीत में ग्रामीण परिवेश, पारंपरिक रीति रिवाज, श्रृंगार का अद्भुत समावेश मिलता है और लोक संस्कृति में रची बसी शैली में जो संगीत माधुर्य उन्होंने हमें दिया है उसके लिए हम सदैव उनके ऋणी रहेंगे।
दीपक कुमार वर्मा ने बताया कि महान पार्श्वगायिका लता मंगेश्कर ने चित्रगुप्त श्रीवास्तव के संगीत निर्देशन में कई सुपरहिट गाने गाये हैं, जिसे लोग आज भी श्रोता बेहद पंसद करते है। उन्होंने बताया कि चित्रगुप्त श्रीवास्तव के दोनों पुत्र आनंद और मिलिंद का नाम लता दी ने ही रखा था।
जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय महासचिव पवन सक्सेना ने कहा कि चित्रगुप्त श्रीवास्तव को भारतीय सिनेमा जगत में महान संगीतकारों में शुमार किया जाता है। उन्होंने एक से बढ़कर एक गीतों को संगीतबद्ध कर लोगों का दिल जीता। चित्रगुप्त श्रीवास्तव के संगीतबद्ध गीतों ने श्रोताओं के दिलों पर अमिट पहचान बनायी है।

News Reporter
Sonu Nigam is Best & NO.1 PRO in Film Industry for Bhojpuri, Hindi & South Cinema, Sonu Nigam is the public relations officer (PRO) for Famous Actor and Acteress

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *