जीकेसी ने प्रार्थना एवं सत्संग का किया वर्चुअल आयोजन
जीवन को निर्मल और पवित्र बनाता है सत्संग : राजीव रंजन प्रसाद
मन के बुरे विचारों और पापों को दूर करता है सत्संग : राजीव रंजन प्रसाद
पटना, 21 मई ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) कला संस्कृति प्रकोष्ठ के सौजन्य से प्रार्थना एवं सत्संग का वर्चुअल आयोजन किया गया।
जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ की सचिव, कृष्णा कलायन कला केंद्र की निदेशक और कार्यक्रम की संयोजक श्रीमती श्वेता सुमन ने बताया कि जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ की ओर से कृष्णा कलायन कला केंद्र के संयोजन में “द आर्ट ऑफ लिविंग “के सानिध्य में “लोका समस्ता सुखिनो भवन्तु” के उद्देश्य से प्रार्थना एवं सत्संग का वर्चुअल आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में वैचारिक समृद्धि के लिए आर्ट ऑफ लिविंग की वरिष्ठ शिक्षिका संगीता सिन्हा जी द्वारा गुरुजी के मार्गदर्शन एवं सकारात्मक जीवन उपयोगी अनुकरणीय बातों को बताया गया।
संगीता सिन्हा ने बताया कि आज की विषम परिस्थिति में अपार अनिश्चितता छाई हुई है,एक मात्र अध्यात्म ही लोगों को इससे उबार सकता है। बचपन से हमे किसी ने नही बताया कि हमारी श्वास ही वह महत्वपूर्ण कड़ी है जो हमारे शरीर को स्वस्थ और मन को प्रसन्न रख सकती है।कार्यक्रम में पल्लव हलधर जी के द्वारा सत्संग की प्रस्तुति हुयी। पल्लव जी ने सत्संग में ,ॐ नमः शिवाय, वंदे भुवनेश्वरी,जय गुरु ॐ कारा आदि भजनों से खूब आनंद बिखेरा। इस दौरान जीकेसी परिवार के दिवंगत लोगों को श्रद्धांजलि भी दी गयी। कार्यक्रम के दौरान जीकेसी बिहार की प्रदेश अध्यक्ष डा. नम्रता आनंद जी ने प्रार्थना गीत(मानव तू प्रभु की रचना का सुंदरतम श्रृंगार है।सोचा तूने तेरे ऊपर उसका कितना प्यार है)गाया वहीजीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाषिणी स्वरूप ने कविता पाठ किया।
जीकेसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि सत्संग यानी गुरु की प्रेरणा से परम सत्य को संगति कहते है, जैसी संगत वैसी रंगत तो शरीर के भीतर की आत्मा की शांति और आनंद के लिए सत्संग एक बहुत सशक्त माध्यम है और आज इस मंच से हम जन जन तक ये सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर पा रहे हैं।सत्संग जीवन को निर्मल और पवित्र बनाता है और मन के बुरे विचारों एवं पापों को दूर करता है।
जीकेसी की प्रबंध न्यासी श्रीमती रागिनी रंजन ने कहा कि सत्संग वह माध्यम है जिससे हम परमपिता से साक्षात्कार कर पाए हैं।दुखों का नाश होता है और मन आनंदित रहता है और स्वस्थ मन से ही स्वस्थ शरीर का निर्माण कर सकते हैं।
जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष देव कुमार लाल ने कहा कि सत्संग करने से जीवन में प्रतिदिन निखार आता चला जाता है।जीवन में निरंकार की अनुभूति से जीवन में सकारात्मक भावों का संचार होता है। परमात्मा का ज्ञान होने पर ही जीवन में सुख शांति निंरतर बनी रहती है।
श्वेता सुमन ने बताया कि ध्यान सत्संग वह क्रिया वह सेवा है जिसके माध्यम से हम स्वयं के साथ साथ समस्त लोक के मानवीय मूल्यों का पुनरूत्थान एवं आध्यात्मिक उन्नति करा सकते हैं।ध्यान के माध्यम से हम ईश्वर से जुड़ते हैं और सत्संग के माध्यम से गुरु एवं ईश्वर से सर्वस्व बांटते हैं।आज इस संकट की घड़ी में हम सब समर्पित हो कर प्रार्थना करें।गुरुजी की प्रेरणा से समस्त लोग लोका सुखिनो भवन्तु के लिए प्रार्थना करेंगे।
जीकेसी डिजिटल एवं संचार प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंद सिन्हा ने कहा कि सत्संग जीवन को निर्मल और पवित्र बनाता है।जीवन को समुन्नत बनाने और सुधारने के लिए सत्संग मूलाधार है। जीवन के उद्देश्य की प्राप्ति में सत्संग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। उन्होंने बताया कि डिजिटल माध्यम से और भी विषयों पर बहुत जल्द दूसरे सत्र भी आयोजिय होंगे, साथ ही साथ जीकेसी के युट्यूब चैनल से और भी इनफार्मेशन प्रकाशित की जाएगी।
जीकेसी के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अखिलेश कुमार श्रीवास्तव ने ग्लोबल कायस्थ कांफ्रेंस परिवार की तरफ से श्री श्री रविशंकर जी के चरणों मे वन्दन अभिनंदन करते हुए श्लोक (ब्रह्मानंदं परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिं द्वंद्वातीतं गगनसदृशं तत्त्वमस्यादिलक्ष्यम्। एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधीसाक्षिभूतं भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि।गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरा।
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः।।) सुनाया। जीकेसी की प्रदेश अध्यक्ष डा. नम्रता आनंद ने कहा कि सत्संग के माध्यम से आप ईश्वर से जुड़ते हैं और आध्यात्मिक चेतना के संचार से वैचारिक समृद्धि आती है,आप रचनात्मक रहते हुए प्रगतिशील रहते हैं ,नकारात्मक एवं विचारों का कुप्रभाव आपपर नही पड़ता है। उन्होंने कहा कि जीवन में जब हम निराशा की तरफ किसी कारण वश चले जाते हैं उस समय सत्संग और ध्यान हमें उस विकट परिस्थिति से निकाल कर हमें फिर से जीना सिखाती है।
वर्चुअल कार्यक्रम में मनोज श्रीवास्तव, दीपक कुमार वर्मा, प्रेम कुमार, नवीन कुमार श्रीवास्तव, पवन सक्सेना, संजय कुमार सिन्हा, सुनील श्रीवास्तव, सौरभ श्रीवास्तव, अनुराग समरूप, बलिराम जी, वीरेन्द्र श्रीवास्तव, आलोक श्रीवास्तव, सुभाषिनी स्वरूप, कुमार मानवेन्द्र, डा: नम्रता आनंद, नीना मंदिलवार, मुकेश महान, रितिक श्रीवास्तव, अनुराग सक्सेना, प्रियंका श्रीवास्तव, विंदु भूषण, मुकेश कुमार वर्मा, पिंकी दत्ता, प्रीति श्रीवास्तव, भारती श्रीवास्तव, आलोक अविरल, शिखा स्वरूप, संध्या सिन्हा, उत्कर्ष आनंद, तनुश्री सिन्हा, रितेश कुमार सिन्हा, अजय वर्मा समेत कई गणमान्य लोग शामिल हुये।