कला और संस्कृति के संरक्षण तथा विकास में जीकेसी कला-संस्कृति प्रकोष्ठ बिहार की अहम भूमिका : डा. नम्रता आनंद
विश्व में समृद्ध संस्कृति और परम्पराओं के लिए भारत की अपनी विशिष्ट पहचान : राजीव रंजन प्रसाद
भारतीय संस्कृति दुनिया में अद्वितीय : राजीव रंजन प्रसाद
देश की संस्कृति एवं विरासत को अपनी मौलिक रचनात्मक्ताओं के साथ संजोने के लिए जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ प्रतिबद्ध : श्वेता सुमन
पटना, 06 अगस्त र्ग्लोबल कायस्थ कॉन्फ्रेंस (जीकेसी) के सौजन्य से 18-19 दिसंबर को राष्ट्रीय राजधानी नयी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले विश्व कायस्थ महासम्मेलन ‘उम्मीदों का कारवां’ कार्यक्रम को लेकर समीक्षात्मक बैठक संपन्न हुयी।
जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद की अध्यक्षता में विश्व कायस्थ महासम्मेलन ‘उम्मीदों का कारवां’ कार्यक्रम में कला-संस्कृति प्रकोष्ठ की तैयारी पर विस्तार से चर्चा की गयी। बैठक में कला-संस्कृति प्रकोष्ठ की ओर से होने वाले कार्यक्रमों में बिहार की भागीदारी और कार्यक्रम को सफल बनाने को लेकर विचार-विमर्श किया गया।
इस अवसर पर जीकेसी के ग्लोबल अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि विश्व कायस्थ महासम्मेलन की तैयारी के लिए रोडमैप तैयार है और सभी राज्यों को विशेष रुप से तैयारी करने का निर्देश दिया गया है। भारत देश की कला और संस्कृति अन्य सभी देशों से भिन्न और अनूठी पहचान लिये हुए है, जिसमे भारतीय संगीत-गाने, नृत्य, शैली, रंगमंच, लोक पंरपराएं, प्रदर्शन कला, चित्रकला, लेखन के लिए पूरे विश्व में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत इत्यादि शामिल है।उन्होंने कहा कि विश्व में समृद्ध संस्कृति और परम्पराओं के लिए भारत की अपनी विशिष्ट पहचान है। हम सभी भारतवासी अपने देश की सम्पन्न प्राचीन संस्कृति और इतिहास पर गौरवान्वित महसूस करते हैं। भारतीय संस्कृति दुनिया में अद्वितीय है और भारत की अतुल्य सांस्कृतिक पहचान की हृदय स्थली बिहार है, इसकी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि अतुल्यनीय है।बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक की विरासत की एक झलक नयी दिल्ली में होने वाले उम्मीदों का कार्यक्रम में देखने को मिलेगी।
जीकेसी की प्रदेश अध्यक्ष डा. नम्रता आनंद ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की पहचान के पहलूओं मे उसकी संस्कृति भी महत्वपूर्ण होती है।हमारे देश की असली पहचान उसकी विविध कला-संस्कृति से है। जीकेसी का कला-संस्कृति प्रकोष्ठ कला और संस्कृति के संरक्षण तथा विकास में अहम भूमिका निभाता रहा है। भारत कला संस्कृति सभ्यता एवं परंपरा का वाहक है और बिहार इसका घोतक, जिसका स्वरूप विभिन्न पर्व-त्योहारों के अवसर पर देखने को मिलता है। उम्मीदों का कारंवा में बिहार की संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। उन्होंने कहा कि बिहार जीकेसी कला, संस्कृति प्रकोष्ठ हमारे राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भविष्य की पीढियों के लिए संरक्षित करने और पूरे देश में एक मजबूत सांस्कृतिक जीवंतता बनाने के लिए तत्पर एवं कार्यरत है।
जीकेसी कला संस्कृति प्रकोष्ठ की राष्ट्रीय सचिव एवं उम्मीदों का कारंवा के लिये बनायी गयी समिती प्रमुख श्रीमती श्वेता सुमन ने बताया कि इस कार्यक्रम में जीकेसी परिवार समय-सीमा के अंदर,ज्यादा से ज्यादा कलाकार अपना प्रदर्शन देंगे। कार्यक्रम में सामाजिक उत्थान के लिए संकल्पित गंभीर विषयों की अभिव्यक्ति पेश की जायेगी,जिसका उद्देश्य कला संस्कृति के माध्यम से सामाजिक चेतना के लिए एक प्रयास होगा। कार्यक्रम के दूसरे चरण में सभी राज्य के सभी संस्कृतियो का प्रदर्शन,अनेकता में एकता ,जिसमे भारत की सभी संस्कृतियां समाहित होंगी। तीसरे चरण में जीकेसी परिवार के द्दारा सिनेमा जगत की हस्तियों का प्रदर्शन होगा, जिसमें युवा पीढ़ी को अपने गीतो से मार्गदर्शित करेंगे, इस तरह इस आयोजन में सभी रंग समाहित होंगे।
उन्होंने बताया कि 18 दिसंबर को होने वाले गाला नाईट में सांस्कृतिक समा बंधेगा,गीत, ग़ज़ल, नृत्य ,वादन सभी विधाओं का प्रदर्शन होगा। इस कार्यक्रम में भी देशभर के कलाकार शिरकत करेंगे जिसके लिये देशभर में तैयारियां चल रही है।
इस अवसर पर कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संरक्षक विनय कुमार सिन्हा, राष्ट्रीय संयोजक दीप श्रेष्ठ, कला-संस्कृति प्रकोष्ठ के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रेम कुमार,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाषिणी स्वरूप, कुमार संभव, राष्ट्रीय सचिव अनुराग समरूप, राष्ट्रीय सचिव श्रीमती शिवानी गौड़, संपन्नता वरूण, निहारिका कृष्णा अखौरी, दिवाकर कुमार वर्मा, श्रेया भारती, प्रवीण बादल, सुबोध नंदन सिन्हा, यतीश सिन्हा, और आयुष सिन्हा ने भी अपने विचार व्यक्त किये।